किसी ने इमारत बनाने में लापरवाही की होगी, किसी ने रखरखाव का ध्यान नहीं रखा, किसी ने शिकायत को नजरअंदाज कर दिया तो किसी ने गिरती छत को देख रहे मासूमों की बात अनसुनी कर दी। नतीजा- राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में सरकारी स्कूल की छत गिरने से हुए हादसे में आठ बच्चों की जान चली गई। ये उन गरीबों के बच्चे थे, जिनके परिवार अपना भविष्य बदलने के लिए उन्हें पढ़ने के लिए स्कूल भेजते थे। …लापरवाही, अनदेखी और अमानवीयता जैसे शब्द भी इस हादसे के जिम्मेदारों को कटघरे में खड़ा करने के लिए नाकाफी हैं। हादसे के बाद ग्रामीणों के जो बयान सामने आए, वो और भी चौंका देने वाले हैं।
हादसे के बाद पीड़ित परिवार की महिलाओं से सवाल पूछा गया कि क्या बिल्डिंग खराब हो चुकी थी।
महिला ने जवाब दिया कि प्रशासन को बता दिया था। इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। मीना मैडम हैं उनकी गलती है। एक छोटा बच्चा था जिसने ये बोल दिया था कि कंकण गिर रहे हैं। छत गिरने वाली है। मीना मैडम ने कमरे की कुंडी लगा दी। इसके बाद गांव वालों ने कुंडी खोली, मैडम ने नहीं खोली। मैडम बाहर ही रही। मैडम का नाम मीना मैडम है।’ पीड़ित परिवार की महिला का ये बयान इसलिए मायने रखता है कि अगर छोटे बच्चे की बात को शिक्षक ध्यान दे देते तो शायद बच्चे स्कूल के भवन से बाहर आ जाते और हादसे में उनकी जान न जाती।

