जगदीशपुर (अमेठी)। मलावा गांव की जामा मस्जिद में बृहस्पतिवार रात बारह रोजा शहीदे आजम कांफ्रेंस की सातवीं मजलिस आयोजित हुई। मौलाना ताज मोहम्मद ने इमाम हुसैन की शहादत का तफसीली बयान करते हुए कर्बला की घटना को सब्र, बलिदान और इंसाफ की मिसाल बताया। उन्होंने लोगों से दीन, इंसानियत और सब्र के रास्ते पर चलने की अपील की।
मौलाना ने कहा कि मुहर्रम इस्लामी कलेंडर का पहला महीना है, जो गम, इबादत और ताजगी-ए-अहद का महीना माना जाता है। इमाम हुसैन ने हक और इंसाफ के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी, लेकिन ज़ुल्म के आगे सिर नहीं झुकाया। उन्होंने बताया कि दस मुहर्रम, जिसे यौमे आशूरा कहा जाता है, कर्बला की शहादत का दिन है। इस दिन इमाम हुसैन और उनके अंजुमनियों की याद में मजलिसें होती हैं, ताजिए निकाले जाते हैं और अजादारी की जाती है।
मौलाना ने कहा कि कर्बला का पैगाम सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि हर दौर के इंसान के लिए रहनुमाई है। सत्य के साथ खड़े होना, अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करना और सब्र के साथ अपने अकीदे पर कायम रहना। मजलिस में बड़ी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।