अमेठी जिला मुख्यालय गौरीगंज में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। रविवार की शाम चार बजे से आयोजित काव्य गोष्ठी की शुरुआत कवियित्री रामकुमारी ने वाणी वंदना से की। संचालन कर रहे कवि अनिरुद्ध मिश्र ने पढ़ा कि मां हमें ज्ञान वैभव का वर दीजिए, मन में वीणा की झनकार भर दीजिए। कवि उदयराज वर्मा ने समाज संरचना को अपनी कविता में प्रस्तुत किया। डॉ. केशरी शुक्ल ने पढ़ा कि मुंह से छीने गए लोगों के निवाले देखे, दूर जलती हुई वस्ती के उजाले देखे। भूख से रोते हुए वच्चों को क्या न देखें, वेवजह मस्जिद देखें कि शिवाले देखें। पप्पू सिंह कसक ने पढ़ा कि मुझको ही लूट कर मुझे दान दिया है, इतना भी गिरा नहीं हूं, जितना जान लिया है। मकसूद जाफरी ने पढ़ा कि गुनाहों को न जाने किस सजा में वांट लेती है, सियासत थूकती है फिर उसी को चाट लेती है। कवि दिवस प्रताप सिंह ने पढ़ा कि सक्रिय फिर से मदारी हो गए, ये वावा पुनः ब्रह्मचारी हो गए, जनता जाए तो आखिर कहां जाए, सारे रहनुमा शिकारी हो गए। गोष्ठी की अध्यक्षता अनुपम पांडेय ने की। इस दौरान दीपेंद्र तन्हा, सूर्य लाल आदि ने काव्य पाठ किया।