गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह को समाजवादी पार्टी से बाहर कर दिया गया है। पार्टी ने सोमवार को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर निष्कासन की जानकारी साझा की। राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को वोट देने के बाद से ही उनकी स्थिति पार्टी में असहज बनी हुई थी। पार्टी से बाहर किए जाने के बाद विधायक ने तीखा बयान देते हुए कहा कि राम, राष्ट्र और सनातन मेरे लिए पहले हैं, पार्टी बाद में। अगर सनातन की बात करना बगावत है, तो हां, मैं बागी हूं। उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी अब अपने मूल विचारों से भटक गई है और केवल वोटबैंक की राजनीति में लिप्त है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी अब न तो डॉ. लोहिया के विचारों पर चल रही है और न ही रामभक्तों का सम्मान कर रही है। राम मंदिर जाकर दर्शन करना अगर अपराध है, तो मुझे वह अपराध स्वीकार है। उन्होंने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की राजनीति पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि “ये नारा सिर्फ़ छलावा है। जिन दलित महापुरुषों के नाम पर जिले का नाम रखा गया था, उन्हीं का अपमान करके अमेठी नाम फिर से बहाल कर दिया गया। विधायक ने कहा कि “पीडीए अब परिवार डेवेलपमेंट अथॉरिटी बन गया है, जहां सब कुछ परिवार के फायदे के लिए हो रहा है। दलितों और पिछड़ों का नाम लेकर सिर्फ़ दिखावा किया जा रहा है। धर्म और संस्कृति का अपमान करना अगर पार्टी की नीति है, तो मैं ऐसी राजनीति से बाहर रहना पसंद करूंगा। सपा विधायक के निष्कासन से पार्टी पर नहीं पड़ेगा असर: जिलाध्यक्ष जगदीशपुर (अमेठी)। गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह के निष्कासन पर समाजवादी पार्टी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। सपा जिलाध्यक्ष राम उदित यादव ने कहा कि विधायक के बाहर होने से पार्टी को कोई नुकसान नहीं हुआ, बल्कि संगठन और मजबूत होकर उभरा है। सोमवार को दिए गए बयान में जिलाध्यक्ष ने कहा कि लोकसभा चुनाव में विधायक ने भाजपा प्रत्याशी की मदद की थी, फिर भी कार्यकर्ताओं ने पूरी मजबूती से मोर्चा संभाला और पार्टी को सम्मानजनक समर्थन मिला। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि को संगठन बनाता है, न कि व्यक्ति विशेष की पहचान से पार्टी चलती है। सपा यूथ ब्रिगेड के जिलाध्यक्ष उदय सिंह सज्जू ने कहा कि निष्कासन के फैसले से युवाओं में उत्साह है। विधायक ने जिस भरोसे पर टिकट लिया और कार्यकर्ताओं के बीच भेजे गए, उसी भरोसे को तोड़ने का काम किया। पार्टी ने सही समय पर निर्णय लेकर कार्यकर्ताओं के मन में विश्वास और ऊर्जा भरने का काम किया है। सपा नेताओं का कहना है कि संगठन की प्राथमिकता विचारधारा और जनहित है, और जो लोग इससे भटकते हैं, उन्हें पार्टी में स्थान नहीं दिया जा सकता।

