Homeधर्म ज्योतिषएक दूसरे के पूरक हैं भक्ति व ज्ञान

एक दूसरे के पूरक हैं भक्ति व ज्ञान

अमेठी सिटी। कलिकाल में ईश्वर नाम की महिमा भक्तों के कल्याण का सबसे बड़ा माध्यम है। यह बात ब्लॉक अमेठी के अहिरावल गांव स्थित अखिलेश्वर धाम परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में छठे दिन रविवार को प्रवाचक आचार्य सुभाष शांडिल्य ने कही।प्रवाचक ने नंद बाबा का वरुण लोक दर्शन, ग्वालबालों का बैकुंठ दर्शन, महारास लीला, अक्रूर का गोकुल आगमन, भगवान का मथुरा गमन, कंस वध, भगवान श्रीकृष्ण का विद्याध्ययन, मथुरा पर जरासंध का आक्रमण, कालयवन उद्धार, द्वारिकापुरी स्थापना, रुक्मिणी विवाह प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया। प्रवाचक ने बताया कि जीवात्मा और परमात्मा के मिलन को लेकर भगवान श्रीकृष्ण ने महारास लीला की।

माया मोह के सभी बंधनों से ऊपर उठकर भक्ति की पराकाष्ठा को पार कर जीवात्मा को परमात्मा की प्राप्ति होती है। भक्ति और ज्ञान दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। बिना भक्ति के ज्ञान लंगड़ा और बिना ज्ञान के भक्ति अंधी है। इस दौरान राम बहादुर सहित अन्य श्रद्धालु मौजूद रहे।

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